हमारे आसपास जो भी हरियाली, पहाड़-झरने, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी मौजूद हैं, उन सबसे ही प्रकृति संपूर्ण है। अगर किसी एक कड़ी पर भी आपदा आती है तो वह नुकसान प्रकृति को ही उठाना पड़ता है। बात अगर पक्षियों की करें तो करीब 1349 पक्षियों की प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं।
फिलहाल सर्दियों का मौसम है और ऐसे समय भारत में उनतीस देशों से प्रवासी पक्षियां आती हैं। बीते दिनों प्रवासी पक्षियों की रहस्यमयी मौत की खबर ने सभी को हैरत में डाल दिया है। हिमाचल में स्थित पोंग डैम में 1400 से अधिक प्रवासी पक्षियां रहस्यमयी मौत की शिकार हो गर्इं। इस गंभीर घटना के मद्देनजर अब बाकियों के बचाव की कवायद तेज कर दी गई है और शासन-प्रशासन को भी सचेत कर दिया गया है। हिमाचल की इस घटना के बाद देश के और भी कई इलाकों से कौवों के मौत की खबरें आईं। मामले की गंभीरता को देखते हुए हर राज्य के लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अधीन कार्यरत पशु चिकित्सा विभाग को सक्रिय कर दिया गया है।
वन्यजीव अधिकारियों की रिपोर्ट के अनुसार मृत पक्षियों में पनचानबे फीसद ‘बार हेडेक गीश’ हैं जो सर्दियों की शुरुआत में पलायन करके साइबेरिया और मंगोलिया से भारत आती हैं। ठंड के मौसम में प्रत्येक साल लगभग 1.15 से 1.20 लाख की संख्या में प्रवासी पक्षी पोंग डैम सेंचुरी में आते हैं और चार महीनों बाद दोबारा लौट जाते है। बात भले प्रकृति में हो रहे किसी भी नुकसान की हो, हमारा कर्तव्य बनता है कि हम प्रकृति के संरक्षण में अपना भरपूर योगदान दें और जितना हो सके, इसकी सुरक्षा करें, क्योंकि प्रकृति ही मनुष्य जीवन की एकमात्र पूंजी है। हमारा उद्गम भी इसी प्रकृति से हुआ है।
’निशा कश्यप, हरिनगर आश्रम, नई दिल्ली
नया संकल्प
नए साल कि शुरुआत हो चुकी है। हर साल की तरह इस साल भी हम बहुत सारे लोगों ने कुछ संकल्प लिए होंगे। कई लोग उन संकल्पों को पूरा कर लेंगे तो कुछ लोग ‘रात गई बात गई’ कह कर भुला देंगे। वैसे ये साल भी हर साल की तरह नई उम्मीद, नया जोश और जुनून लेकर आया ही है, साथ ही पिछले साल के दिए घावों पर मरहम और आशा की किरण बन कर भी आया है। भले ही नया साल कोरोना के घावों को भर दे, लेकिन इसके निशान शायद ही मिट पाएं। बीते साल के वक्त जिस तरह कहर बन कर आया, हम उसे चाह कर भी नहीं भुला पाएंगे।
अब हमें वक्त से सीख लेना चाहिए कि अगर हम प्रकृति को ऐसे ही चोट पहुंचाते रहे तो प्रकृति हर बार नए रूप में प्रहार करेगी। कोरोना से भी गंभीर समस्या प्रतिदिन बढ़ता प्रदूषण, लगातार परिवर्तित होता वातावरण है, जो भविष्य में कारोना से भी घातक साबित हो सकता है। इसलिए इस नए साल में हम सबको यह संकल्प जरूर लेना चाहिए कि अपने और अपने परिवार कि देखभाल के साथ साथ प्रकृति की भी देखभाल करे। भले ही हम बाकी संकल्प साल बीतने के साथ-साथ भूलते जाएं, लेकिन यह संकल्प पूरी दृढ़ता के साथ पूरा करने कि कोशिश करें।
’गौरी सिंह, फरीदाबाद, हरियाणा
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