एक घंटा पहले
- कॉपी लिंक
फोटोग्राफर बलदेव कपूर ने राजीव गांधी और सोनिया गांधी को इंडिया गेट पर आइस्क्रीम का लुत्फ उठाते हुए कैमरे में कैद किया था। फोटो 1970 के दशक का है।
कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर सस्पेंस गहराता जा रहा है। इस सवाल का जवाब आने वाले महीनों में मिलेगा। लेकिन, यह तय है कि तब तक सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। सोनिया 1998 में पहली बार पार्टी की अध्यक्ष बनी थीं और 2017 तक उन्होंने कांग्रेस का नेतृत्व किया। राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन उन्होंने जुलाई-2019 के लोकसभा चुनावों के बाद पद से इस्तीफा दे दिया। तब से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं।
सोनिया पिछले कुछ समय से बीमारी की वजह से पार्टी की गतिविधियों में सक्रियता से भाग नहीं ले रही हैं। लेकिन, उनके नेतृत्व में ही पार्टी 2004 में सरकार बनाने में सफल हो सकी थी और 2009 में सत्ता में लौटी भी। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहू और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी का अब तक राजनीतिक सफर…
कैम्ब्रिज में पढ़ाई के दौरान हुई थी राजीव से मुलाकात
- सोनिया गांधी का पूरा नाम अन्टोनिया एड्विज अल्बीना मैनो है। 9 दिसंबर 1946 को इटली के लुसियाना में उनका जन्म हुआ। 1965 में ग्रीक रेस्तरां में राजीव गांधी से मुलाकात हुई थी, जो उस समय कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के ट्रिनिटी कॉलेज में पढ़ रहे थे। सोनिया वहां स्मॉल लैंग्वेज कॉलेज में पढ़ रही थीं।
- इसके तीन साल बाद यानी 1968 में राजीव और सोनिया की शादी हिन्दू धर्म के रीति-रिवाजों अनुसार हुई। इसके बाद सोनिया भारत आकर ससुराल में अपनी सास और भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ रहने लगी थीं। 1970 में राहुल और 1972 में प्रियंका का जन्म हुआ।
- सोनिया और राजीव दोनों ही परिवार से जुड़े राजनीतिक करियर से दूर थे। राजीव पायलट थे और सोनिया घर में परिवार की देखभाल करती थीं। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव प्रधानमंत्री बने। सोनिया इस दौरान जनता के संपर्क से बचती रहीं।
पति की हत्या के बाद भी सियासत से दूर ही रहीं
कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता लेने के बाद सोनिया ने 1998 के चुनावों में पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी के साथ कैम्पेन में भाग लिया था। अगले साल यानी 1999 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा।
- राजीव गांधी की 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान बम ब्लास्ट के दौरान हत्या कर दी गई थी। तब भी सोनिया ने सियासत में रुचि नहीं ली। पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने। लेकिन 1996 तक कांग्रेस कमजोर होने लगी थी।
- माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट, नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह, ममता बनर्जी, जीके मूपनार, पी. चिदंबरम और जयंती नटराजन जैसे वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस के उस समय के अध्यक्ष सीताराम केसरी के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। पार्टी कई खेमों में बंट गई थी।
- कांग्रेस को एकजुट करने के लिए 51 वर्ष की उम्र में सोनिया 1997 में पार्टी की प्राथमिक सदस्य बनीं और 62 दिन बाद ही 1998 में अध्यक्ष भी बन गईं। तब से 2017 तक वे पार्टी की अध्यक्ष बनी रहीं। यह एक रिकॉर्ड है।
- इस बीच, सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा गरमाया था। 1999 में शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ दी। 1999 में ही सोनिाय ने बेल्लारी (कर्नाटक) और अमेठी (उत्तरप्रदेश) से चुनाव लड़ा और दोनों जगह चुनाव जीता भी।
अंतरात्मा की आवाज पर प्रधानमंत्री पद ठुकराया
- 2004 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। तब कांग्रेस ने लेफ्ट सहित अन्य दलों को साथ लेकर यूपीए (यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस) बनाया। उन्होंने मनमोहन सिंह को जिम्मेदारी सौंपी। खुद प्रधानमंत्री न बनने पर उन्होंने कहा कि “मैंने अंतरात्मा की आवाज सुनी है।’
- 2004 में उन्होंने अमेठी सीट से अपने बेटे राहुल को चुनाव लड़वाया और खुद रायबरेली सीट पर शिफ्ट हो गईं। जहां से वह आज भी सांसद हैं। ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मुद्दे पर सोनिया ने 2006 में संसदीय सीट से इस्तीफा दिया और उपचुनाव में जीतकर भी आईं।
- सोनिया की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार समिति के कहने पर ही सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) कानून लागू करने में अहम भूमिका निभाई।
- दो अक्टूबर 2007 को महात्मा गांधी के जन्मदिन पर सोनिया गांधी ने संयुक्त राष्ट्र को संबोधित किया। संयुक्त राष्ट्र ने 15 जुलाई 2007 को प्रस्ताव पारित किया और यह दिन अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
- 2004, 2007, 2009 में सोनिया गांधी फोर्ब्स की दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं में शामिल रहीं। वह दुनिया के 100 सबसे ज्यादा प्रभावशाली लोगों में से एक थीं।
- 2009 के आम चुनावों में सोनिया के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1991 के बाद पहली बार 200 से ज्यादा सीटें जीतीं और सत्ता में वापसी की। इस बार भी मनमोहन सिंह को ही प्रधानमंत्री बनाया गया।
- 2013 में सोनिया ने कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर लगातार 15 साल रहने का रिकॉर्ड बनाया। 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन (44 सीटें) किया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी।
विवादों से भी रहा करीब का नाता
- 1980 में सोनिया इटली की नागरिक थीं। इसके बाद भी उनका नाम दिल्ली की मतदाता सूची में दिखा, जो भारत में गैरकानूनी था। 1983 में उन्होंने इटली की नागरिकता छोड़ी और पूरी तरह भारतीय नागरिक बनीं।
- 1990 के दशक में बोफोर्स कांड के क्वात्रोची से उनकी दोस्ती को लेकर भी सियासी आरोप उन पर लगे। क्वात्रोची भी इटली का व्यापारी था, जिस पर इन तोपों के लिए कमीशन खाने का आरोप था।
0