वास्तव में, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राज़ेनेका द्वारा जो वैक्सीन विकसित की गई, उस AZD1222 वैक्सीन के उत्पादन में भारत की फार्मा कंपनी सिरम इंस्टीट्यूट साझेदार है. इसी तरह, हैदराबाद बेस्ड कंपनी भारत बायोटेक ने देश की शीर्ष मेडिकल संस्था आईसीएमआर के साथ मिलकर ‘कोवैक्सिन’ बनाई है. सिलसिलेवार आपको बताते हैं कि कैसे भारत में वैक्सीन की आमद के बाद की तमाम रणनीतियां क्या हैं.
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कैसे शुरू होगा टीकाकरण?अपनी वैक्सीन कोविशील्ड के 8 करोड़ डोज़ का उत्पादन सिरम इंस्टीट्यूट पहले ही कर चुका है. भारत बायोटेक भी उत्पादन शुरू कर चुका है. अब इन्हें लोगों तक पहुंचाने की कवायद शुरू होना है. अमेरिका और ब्रिटेन में जैसे ही वैक्सीनों को मंज़ूरी मिली थी, उसके एक दो दिन बाद ही टीकाकरण की शुरूआत हो गई थी. लेकिन भारत में बड़ी आबादी अपने आप में एक चुनौती है.
सिरम इंस्टीट्यूट अपनी वैक्सीन कोविशील्ड के तेज़ उत्पादन का दावा कर चुका है.
भारत में भी कहा जा रहा है कि टीकाकरण एक हफ्ते के भीतर और तेज़ी से शुरू होने वाला है. यह भी आपको बताया जा चुका है कि सबसे पहले वैक्सीन प्राथमिकता वाले समूहों यानी फ्रंटलाइन वॉरियरों, बुज़ुर्गों और पहले से गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों को वैक्सीन दी जाएगी. इन समूहों में करीब 30 करोड़ की आबादी को वैक्सीन पहले दी जाएगी.
बाकी देश तक कैसे पहुंचेगी वैक्सीन?
सरकार का लक्ष्य है कि इस साल अगस्त के महीने तक टीकाकरण का पहला चरण पूरा कर लिया जाए. इसके बाद की कोई टाइमलाइन अभी तय नहीं है. यानी पहले चरण के बाद ही देश की बाकी जनता तक वैक्सीन पहुंचना मुमकिन होगा. दूसरी तरफ, सिरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन उत्पादन में तेज़ी लाने और भरपूर उत्पादन करने की बात कही है.
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यह भी कहा जा रहा है कि इन दो वैक्सीनों के अलावा, फाइज़र, मॉडर्ना, रूसी वैक्सीन स्पूतनिक आदि वैक्सीनों को भी जल्द ही भारत में मंज़ूरी मिल सकती है इसलिए वैक्सीन डोज़ की कमी नहीं पड़ेगी, लेकिन चुनौती इन्हें लोगों तक जल्दी और सही ढंग से पहुंचाना ही होगा.
कितनी खास हैं तैयारियां?
देश भर में करीब 96,000 हेल्थकेयर वर्करों को वैक्सीन लगाने की ट्रेनिंग दी जा चुकी है और लगातार दी जा रही है. कोल्ड स्टोरेज पूरी तरह तैयार किए जा रहे हैं और Co-WIN प्लेटफॉर्म पर 75 लाख से ज़्यादा लाभार्थी रजिस्टर करवा चुके हैं. देश में आखिरी कोने और आखिरी व्यक्ति तक वैक्सीन पहुंचाने का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम तैयार करवाया जा रहा है.

कोवैक्सिन के डोज़ के लिए सांकेतिक तस्वीर.
स्वास्थ्य मंत्रालय कह चुका है कि 28 दिनों के अंतराल में हर व्यक्ति को वैक्सीन के दो शॉट लेने होंगे, तभी टीकाकरण पूरा माना जाएगा. दूसरा डोज़ लेने के दो हफ्तों के बाद तक सामान्य तौर पर एंटीबॉडी डेवलप हो सकती हैं, इसलिए तमाम सावधानियां अपनाना होंगी. इसके अलावा, वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म Co-WIN बनाया गया है, जो रजिस्ट्रेशन के साथ ही टीकाकरण संबंधी ट्रैक रिकॉर्ड भी रखेगा.
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तैयारियों की जो रूपरेखा बताई गई है, उसके मुताबिक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश तय करेंगे कि किस तारीख पर वैक्सीन दी जाएगी और किन लोगों को. साथ ही एक सेशन में 100 लोगों तक को वैक्सीन दिए जाने की बात भी कही गई है.
क्या विदेशों में जाएगी भारत की वैक्सीन? कैसे?
ताज़ा खबर की मानें तो सिरम इंस्टीट्यूट ने कह दिया है कि भारत कोरोना वैक्सीन को कई महीनों तक विदेशों को देने में असमर्थ रहेगा, जब तक देश की ज़रूरत पूरी नहीं हो जाती. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता के तौर पर सिरम ने दावा किया कि जिस समय में अमीर देश वैक्सीनों को खरीदकर अपनी जेब में करना चाहते हैं, तब सिरम के वैक्सीन उत्पादन का लक्ष्य विकासशील देशों तक वैक्सीन पहुंचाने का है, लेकिन सिरम की वैक्सीन एक्सपोर्ट पर बैन लगने का मतलब है कि गरीब देशों को वैक्सीन के लिए और इंतज़ार करना होगा.
It would make every Indian proud that the two vaccines that have been given emergency use approval are made in India! This shows the eagerness of our scientific community to fulfil the dream of an Aatmanirbhar Bharat, at the root of which is care and compassion.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 3, 2021
यह भी गौरतलब है कि भारत में अप्रूवल मिलने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में भारत बायोटेक कंपनी ने कहा कि यह भारत के लिए गर्व का मौका है क्योंकि इस कदम ने देश की वैज्ञानिक क्षमता को साबित किया. कंपनी के मुताबिक वह जल्द ही दुनिया में अपनी वैक्सीन उपलब्ध कराने का इरादा रखती है. लेकिन ताज़ा हालात के मद्देनज़र कहा जा सकता है कि भारत सरकार वैक्सीन को कंट्रोल करने के मूड में दिख रही है.
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इससे पहले, कोविड वैक्सीन अप्रूव होने की खबर आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर भारत की वैज्ञानिक काबिलियत को सराहते हुए कहा कि देश में बनने वाली दो वैक्सीनों को मंज़ूरी मिलना ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने वाला कदम है.