अमेरिका के कोलोराडो में डेनवर की रहने वाली गीतांजलि सबसे छोटी उम्र की वैज्ञानिक और आविष्कारक हैं, जिन्होंने छह आविष्कार अपने नाम कर लिए हैं। इससे पहले उन्होंने अमेरिका का शीर्ष ‘यंग साइंटिस्ट अवार्ड’ जीता था। वह फोर्ब्स की 2019 की 30 साल से कम उम्र की प्रतिभाशाली हस्तियों में भी अपना नाम दर्ज करा चुकी हैं।
जब गीतांजलि टैड टॉक्स के कार्यक्रम ‘नई बात’ में आई थीं तो बॉलीवुड अभिनेता शाहरूख खान ने उनका परिचय अमेरिका की शीर्ष युवा वैज्ञानिक के रूप में कराया था। टाइम पत्रिका के लिए गीतांजलि का साक्षात्कार किसी और ने नहीं बल्कि हॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्रियों में शामिल एंजलीना जॉली ने लिया था।
वह पानी में सीसे (लैड) की विषाक्तता का पता लगाने वाला उपकरण, इंटरनेट पर साइबर बुलिंग को रोकने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस) की मदद से ‘काइंडली’ नामक ऐप बनाने और साथ ही मरीजों में दर्द निवारक के रूप में अफीम की लत का पता लगाने वाले उपकरण का आविष्कार कर चुकी हैं।
जब वह चार साल की थीं तो उनके एक रिश्तेदार ने उन्हें एक रसायनिक प्रयोग के कुछ उपकरण उपहार में दिए। उसमें बीकर, टेस्ट ट्यूब और रंग-बिरंगे तरल पदार्थ थे। इन चीजों ने गीतांजलि को इतना मोहित किया कि वे उनकी दुनिया बन गए और वह दिन रात इन्हीं उपकरणों से खेलने लगीं। नन्हीं सी उम्र में ही गीतांजलि ने वैज्ञानिकों को अपना सुपर हीरो मान लिया था।
पानी में सीसे की विषाक्तता का पता लगाने का विचार उन्हें अपनी भारत यात्रा के दौरान आया था। वह अपने पैतृक गांव में अपने चचेरे भाई के साथ पानी भर कर लाती थीं और उनकी दादी इस पानी को उबाल कर पीने लायक बनाती थीं। गीतांजलि ने इस पानी को बिना उबाले पीने की कोशिश की तो वह बीमार पड़ गर्इं।
यहीं से उन्हें विचार आया कि पानी में विषाक्त तत्वों का पता कैसे लगाया जा सकता है। इसी क्रम में उन्होंने अपना ‘टैथीज’ उपकरण बनाया, जिसमें कार्बन नैनोट्यूब्स का इस्तेमाल कर तुरंत पानी में सीसे की मात्रा का पता लगाया जा सकता है। इस आविष्कार के लिए उन्होंने 2017 में ‘डिस्कवरी एजुकेशन 3 एम यंग साइंटिस्ट चैलेंज’ पुरस्कार जीता था।
विज्ञान के अलावा गीतांजलि को पियानो बजाना, भारतीय शास्त्रीय नृत्य करना, तैराकी करना, खेल के रूप में तलवारबाजी करना और रसोईघर में बेकिंग करने का बहुत शौक है।
नौ साल की उम्र में ही उन्होंने शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू कर दिया था। गीतांजलि की मां भारती राव और पिता राम राव की पृष्ठभूमि अकादमिक है और उन्होंने अपनी बेटी को यहां तक पहुंचने में हर कदम पर समर्थन दिया। इस समय गीतांजलि पानी में परजीवी जैसे जैव प्रदूषकों का पता लगाने की दिशा में काम कर रही हैं।
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