कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले साल हुए लोकसभा से चुनाव लेकर अब तक 17 राज्य ऐसे हैं जहां एक बार भी दौरा नहीं किया है। हालांकि देश के 10 राज्य ऐसे हैं जहां वे एक या दो बार दौरा कर चुके हैं। सबसे खास बात ये है कि राहुल ने अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड का सांसद बनने के बाद 8 बार दौरा किया।
जिन राज्यों में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने एक बार दौरा किया है उनमें महाराष्ट्र, पंजाब,झारखंड,छत्तीसगढ़ और राजस्थान शामिल हैं। जबकि हरियाणा, असम,उत्तर प्रदेश, गुजरात और बिहार का वे दो बार दौरा कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव के बाद जिन 17 राज्यों में राहुल गांधी ने एक बार भी दौरा नहीं किया है उनमें, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम,मणिपुर,नगालैंड,मेघालय, मिजोरम,त्रिपुरा,आंध्र प्रदेश,मध्य प्रदेश, तमिलनाडु,कर्नाटक,पश्चिम बंगाल,ओडिशा, गोवा, हिमाचल प्रदेश और उत्तरांखड शामिल हैं।
इन 17 राज्यों में से तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ऐसे राज्य हैं जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। तमिलनाडु में कांग्रेस जहां 1967 तो वहीं पश्चिम बंगाल में 1971 से सत्ता से बाहर है। आंध्र प्रदेश में 2004 से 2014 तक सत्ता में रहने वाली पार्टी कुछ समय से सियासी हाशिये पर आ चुकी है।
यही नहीं केंद्रशासित प्रदेशों का भी राहुल गांधी ने दौरा नहीं किया है। हालांकि वे धारा 370 हटाए जाने के बाद विपक्ष के नेताओं समेत कश्मीर गए थे। जानकार कहते हैं कि राहुल का 17 राज्यों का दौरा न करना एक तरह से उनकी राजनीति के बारे में बहुत कुछ कहता है । जो उनके फुल टाइम राजनेता होने पर सवालिया निशान खड़ा करता है।
एक ओर जहां बीजेपी हफ्ते के सभी दिन राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहती है वहीं विपक्षी कांग्रेस के बड़े नेता के सुस्त रवैए से सवाल खड़े होते हैं। जानकार कहते हैं कि इस तरह का स्टाइल बीजेपी से लड़ने में असरदार नहीं होगा। राहुल को राजनीति में दिखना भी होगा और आगे से मोर्चा संभालना भी होगा।
जानकार कहते हैं कि कांग्रेस खुद इस समय असमंजस से घिरी हुई है। राहुल नेता होते हुए भी अध्यक्ष नहीं हैं। सोनिया गांधी अध्यक्ष होते हुए भी नेता नहीं हैं। राहुल को जमीनी राजनीति पर सक्रियता दिखानी की जरूरत है।
हालांकि इस बीच राहुल सबसे अधिक वायनाड में सक्रिय दिखे जो कि उनका संसदीय क्षेत्र है। देखना होगा कि राहुल की केरल में सक्रियता का अगले साल वहां होने वाले विधानसभा चुनावों पर क्या असर रहता है।
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