निरोग बने रहने के लिए रोजाना करें योग…
कोरोना काल (Corona Era) में इम्यून सिस्टम (Immune System) को मजबूत रखना जरूरी है. ताकि किसी भी तरह के इंफेक्शन (Infection) से बचा जा सके. इसके लिए आप योगासन (Yoga Posture) को अपने रूटीन में शामिल करें.
- News18Hindi
- Last Updated:
December 28, 2020, 12:16 PM IST
बटरफ्लाई आसन
बटरफ्लाई आसन बहुत ही एफेक्टेड है. इसे तितली आसन भी कहते हैं. महिलाओं के लिए ये आसन विशेष रूप से लाभकारी है. बटरफ्लाई आसन करने के लिए पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएं,रीढ़ की हड्डी सीधी रखें. घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएं. दोनों हाथों से अपने दोनों पांव को कस कर पकड़ लें. सहारे के लिए अपने हाथों को पांव के नीचे रख सकते हैं. एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें. लंबी,गहरी सांस लें, सांस छोड़ते हुए घटनों एवं जांघो को जमीन की तरफ दबाव डालें. तितली के पंखों की तरह दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें. धीरे धीरे तेज करें. सांस लें और सांस छोड़ें. शुरुआत में इसे जितना हो सके उतना ही करें. धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं.
बटरफ्लाई आसन के फायदे
जांघो, एवं घुटनो का अच्छा खिंचाव होने से कूल्हों में लचीलापन बढ़ता है. मासिक धर्म के दौरान होने वाली असुविधा एवं मोनोपॉज के लक्षणों से आराम. गर्भावस्था के दौरान लगातार करने से प्रसव में आसानी.
भस्त्रिका प्राणायाम
भस्त्रिका का अभ्यास कोरोना के समय में अपने लंग्स की कैपिसिटी को बढ़ाने के लिए करें. यह मुख्य रूप से डीप ब्रीदिंग है. इससे आपका रेस्पिरेटरी सिस्टम मजबूत होगा. भस्त्रिका प्राणायाम बहुत ही महत्वपूर्ण प्राणायाम है. इससे तेजी से रक्त की शुद्धि होती है. साथ ही शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त का संचार तेज होता है.
कपालभाति
कपालभारती बहुत ऊर्जावान उच्च उदर श्वास व्यायाम है. कपाल अर्थात मस्तिष्क और भाति यानी स्वच्छता अर्थात ‘कपालभारती’ वह प्राणायाम है जिससे मस्तिष्क स्वच्छ होता है और इस स्थिति में मस्तिष्क की कार्यप्रणाली सुचारु रूप से संचालित होती है. वैसे इस प्राणायाम के अन्य लाभ भी हैं. लीवर किडनी और गैस की समस्या के लिए बहुत लाभ कारी है. कपालभाति प्राणायाम करने के लिए रीढ़ को सीधा रखते हुए किसी भी ध्यानात्मक आसन, सुखासन या फिर कुर्सी पर बैठें. इसके बाद तेजी से नाक के दोनों छिद्रों से सांस को यथासंभव बाहर फेंकें. साथ ही पेट को भी यथासंभव अंदर की ओर संकुचित करें. इसके तुरंत बाद नाक के दोनों छिद्रों से सांस को अंदर खीचतें हैं और पेट को यथासम्भव बाहर आने देते हैं. इस क्रिया को शक्ति व आवश्यकतानुसार 50 बार से धीरे-धीरे बढ़ाते हुए 500 बार तक कर सकते हैं लेकिन एक क्रम में 50 बार से अधिक न करें. क्रम धीरे-धीरे बढ़ाएं. इसे कम से कम 5 मिनट और अधिकतम 30 मिनट तक कर सकते हैं.
कपालभाति के फायदे
ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है
सांस संबंधी बीमारियों को दूर करमे में मदद मिलती है. विशेष रूप से अस्थमा के पेशेंट्स को खास लाभ होता है.
महिलाओं के लिए बहुत लाभकारी
पेट की चर्बी को कम करता है
पेट संबंधी रोगों और कब्ज की परेशानी दूर होती है
रात को नींद अच्छी आती है
अनुलोम विलोम प्राणायाम
सबसे पहले पालथी मार कर सुखासन में बैठें. इसके बाद दाएं अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका पकड़ें और बाई नासिका से सांस अंदर लें लीजिए. अब अनामिका उंगली से बाई नासिका को बंद कर दें. इसके बाद दाहिनी नासिका खोलें और सांस बाहर छोड़ दें. अब दाहिने नासिका से ही सांस अंदर लें और उसी प्रक्रिया को दोहराते हुए बाई नासिका से सांस बाहर छोड़ दें.
अनुलोम विलोम प्राणायाम के फायदे
-फेफड़े मजबूत होते हैं
-बदलते मौसम में शरीर जल्दी बीमार नहीं होता.
-वजन कम करने में मददगार
-पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाता है
-तनाव या डिप्रेशन को दूर करने के लिए मददगार
-गठिया के लिए भी फायदेमंद