
कोरोना और सरकार की गाइड लाइन के चलते बड़े आयोजन नहीं हो रहे हैं, जिसका सीधा असर उन मूर्तिकारों पर भी पड़ रहा है.
दुर्गा माँ की बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ बनायी जाती हैं. बड़े पंडाल लगाये जाते है. लेकिन इस साल ये सब नज़र नहीं आयेगा. कोरोना-लॉकडाउन के चलते मूर्तियों का साइज छोटा हो गया है.
चितरंजन पार्क में नहीं होगा दुर्गा पूजा का आयोजन
कोरोना और सरकार की गाइड लाइन के चलते बड़े आयोजन नहीं हो रहे हैं, तो इसका सीधा असर उन मूर्तिकारों पर भी पड़ रहा है जिनकी सालभर की आमदनी दुर्गा पूजा के समय बनायी जाने वाली मूर्तियों पर टिकी रहती है. इन मूर्तिकारो की मानें तो इस साल उनके पास बिल्कुल भी काम नहीं है. दिल्ली के चितरंजन पार्क में होने वाली दुर्गा पूजा पूरे देशभर में प्रसिद्ध है. लेकिन इस साल यहां भी कोई बड़ा आयोजन नही होगा.
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चितरंजन पार्क के पंडाल में लगने वाली मूर्ति हर साल मूर्तिकार गोविंदनाथ बनाते हैं. गोविंदनाथ के पास हर साल दिल्ली के अलग-अलग पंडालों से मूर्ति बनाने की डिमांड भी रहती है. इसके लिये वो पूरा सामान और कारीगर बंगाल से बुलाते है. गोविंद बताते हैं कि इस साल ना तो उन्होंने कोई कारीगर बुलाया है और ना ही मूर्ति बनाने का नया सामान मंगाया है. क्योंकि इस साल उनके पास कुछ ही मूर्तियों की डिंमाड है जिन्हें वो पिछले साल के बचे हुये सामान से ही बना रहे हैं.
गोविंद ने बताया कि हर साल वो 18 से 19 फ़ीट तक की मूर्ति बनाया करते थे. लेकिन इस साल उनकी सबसे बड़ी मूर्ति सिर्फ़ 5 फ़ीट की ही है. क़ीमत की बात करें तो उनका कहना है कि वो हर साल अपनी सबसे बड़ी मूर्ति 1 लाख से भी ज्यादा कीमत में देते थे, लेकिन इस साल हालात ये है कि उनकी सबसे बड़ी मूर्ति की क़ीमत 5 से 6 हज़ार तक ही रखी गयी है. हालांकि इस परेशानी के बीच उन्हें इस बात की उम्मीद ज़रूर है कि अगले साल तक ये परेशानी ख़त्म हो जायेगी और एक बार फिर उन्हें पहले जैसे बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ बनाने का मौका मिलेगा.
दिल्ली सरकार के ओर से पहले ही ठिठके कदम
जानकारों की मानें तो दिल्ली में दुर्गा पूजा के लिये दिल्ली सरकार ने अभी कोई नये नियम जारी नही किये हैं. बड़ा सवाल यह भी है कि आख़िर इस बार कोरोना महामारी के बीच ये त्योहार कैसे मनाया जायेगा. लेकिन इतना तो तय है कि भीड़ को एक जगह जमा होने की इजाज़त बिल्कुल नहीं मिलेगी. यही वजह है कि दुर्गा पूजा आयोजकों ने इसके लिये कोई बड़ी तैयारी भी नहीं की है.