चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वुहान में मिला हुआ वायरस असली कोरोना वायरस नहीं है.
Coronavirus: शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल साइंसेंज के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च पेपर का जिक्र करते हुए कहा है कि दिसंबर 2019 में वुहान में कोरोना के मामले सामने आने से पहले कोरोना वायरस भारतीय उपमहाद्वीप में मौाजूद था.
- News18Hindi
- Last Updated:
December 2, 2020, 5:12 PM IST
शंघाई इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल साइंसेंज के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च पेपर का जिक्र करते हुए कहा है कि दिसंबर 2019 में वुहान में कोरोना के मामले सामने आने से पहले कोरोना वायरस भारतीय उपमहाद्वीप में मौाजूद था. कोरोनो वायरस के आनुवांशिक कोड की जांच करने वाले चीनी वैज्ञानिकों ने खाद्य सबूत होने का दावा किया है कि चीन में वायरस की उत्पत्ति नहीं हुई है.
युवा आबादी के कारण पैदा हुआ कोरोना वायरस!
यह पेपर 17 देशों के कोरोना वायरस स्ट्रेन पर रिसर्च करके प्रकाशित किया है. इस रिसर्च का नेतृत्व डॉ. शेन लिबिंग ने किया है. इस रिसर्च में चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि भारत की युवा आबादी, बेहद खराब मौसम और सूखे की वजह से ऐसी स्थिति तैयार हुई होगी और इसी वजह से यह इंसानों में पहुंचा. इस रिपोर्ट में चीनी वैज्ञानिकों ने यह भी दावा किया है कि हमें संकेत मिले हैं कि वुहान में वायरस का मामला सामने आने से तीन से चार महीने पहले कोरोना भारतीय उपमहाद्वीप में फैला था.शोधकर्ताओं का तर्क है कि क्योंकि भारत और बांग्लादेश दोनों कम उत्परिवर्तन के साथ नमूने दर्ज करते हैं और भौगोलिक पड़ोसी हैं, इसलिए संभावना है कि पहला प्रसारण वहां हुआ.
वुहान में नहीं मिला है असली कोरोना वायरस
चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वुहान में मिला हुआ वायरस असली कोरोना वायरस नहीं है. उन्होंने कहा कि जांच में कोरोना वायरस के बांग्लादेश, अमेरिका, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, भारत, इटली, चेक रिपब्लिक, रूस या सर्बिया में पैदा होने के संकेत मिलते हैं. चीनी शोधकर्ताओं ने दलील दी कि चूंकि भारत और बांग्लादेश में सबसे कम म्यूटेशन वाले नमूने मिले हैं और चीन के पड़ोसी देश हैं, इसलिए यह संभव है कि सबसे पहला संक्रमण वहीं पर हुआ हो. वायरस के म्यूटेशन में लगने वाले समय और इन देशों से लिए गए नमूनों के आधार पर चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया कि कोरोना वायरस जुलाई या अगस्त में 2019 में पहली बार फैला होगा.