सोशल मीडिया (Social Media) के ज़रिये लोगों को जुटाकर उनके अनुभवों के आधार पर डेटा जुटाने वाले एक समूह लोकल सर्कल के सर्वे की मानें तो देश में लोग कोरोना टेस्ट के प्रति लापरवाह नहीं, बल्कि कई तरह के संदेहों और डर से घिरे हुए हैं. इस सर्वे के कुछ बिंदुओं को जानने के बाद आपको बताते हैं कि लोग क्यों टेस्ट से हिचकिचा रहे हैं.
किस तरह दिखती है हिचकिचाहट?
इस सर्वे में कोरोना टेस्टिंग से जुड़े कई तरह के सवाल लोगों से पूछे गए और उनके जवाबों के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकले.
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* करीब 50% भारतीयों ने माना कि वो कम से कम एक ऐसे व्यक्ति को ज़रूर जानते हैं जिसने लक्षणों के बावजूद कोरोना टेस्ट नहीं करवाया.
* इस सर्वे में 75% से ज़्यादा भारतीयों ने यह माना कि वो कम से कम एक ऐसे व्यक्ति के संपर्क या पहचान में रहे हैं, जो कोरोना पॉज़िटिव निकला.
* अपने नेटवर्क में कम से कम एक कोरोना पॉज़िटिव व्यक्ति के होने की बात मई में जहां 7% लोगों ने कही थी, वहीं सितंबर में 77% लोगों ने कही.
* अगर कोविड 19 हो जाता है, तो इस स्थिति में सिर्फ 13 फीसदी लोगों ने माना कि वो डरेंगे नहीं बल्कि टेस्ट और इलाज की प्रक्रिया पूरी करेंगे.
न्यूज़18 क्रिएटिव
लोग कैसे डर रहे हैं?
कोरोना संक्रमण होने की स्थिति में लोग किन बातों से सबसे ज़्यादा डर रहे हैं? इस सवाल का जवाब इस सर्वे के आखिरी पॉइंट से निकला, जिसमें सबसे ज़्यादा 29% लोगों ने माना कि उनके संक्रमित होने से उनके परिवार और साथियों को खतरा हो सकता है. इसके अलावा, 22% लोगों ने कहा कि अस्पताल में भर्ती होने के खयाल से उन्हें डर लगता है. 17% ने माना कि कोरोना की स्थिति में डर लगने की वजहें रोज़गार या कमाई खत्म हो जाना, परिवार असुरक्षा और कम जानकारी होना हैं. स्थानीय अधिकारिेयों से डील करने से 8% और सामाजिक रूप से कट जाने के डर की बात 5% लोगों ने कही.
बढ़ रही है भारत में टेस्टिंग क्षमता
लोगों की टेस्टिंग को लेकर हिचकिचाहट सरकारी दावों के विपरीत जा रही है, जिनके मुताबिक भारत लगातार कोविड टेस्ट की सुविधा और क्षमता बढ़ा रहा है. पिछले करीब 8 महीनों में भारत में 6 करोड़ 5 लाख 65 हज़ार से ज़्यादा टेस्ट किए जा चुके हैं और कल यानी बुधवार को एक दिन में रिकॉर्ड 11,36,613 टेस्ट किए गए.
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यही नहीं, इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा था कि टेस्टिंग के लिए डॉक्टर का प्रेस्क्रिप्शन ज़रूरी नहीं है. जो व्यक्ति टेस्ट कराना चाहता है, करवा सकता है. इन तमाम फैक्ट्स के बावजूद लोगों में टेस्टिंग को लेकर हिचकिचाहट की वजहें क्या हैं और किस तरह डरावनी तक हैं?
अस्पताल में भर्ती होना बड़ा कारण
जैसा कि सर्वे में सामने आया, देश में बड़ी संख्या में लोग अस्पताल में भर्ती होने से डर रहे हैं इसलिए टेस्ट से हिचक भी रहे हैं. यह डर क्यों है? पहला तो लोगों को लग रहा है कि उन्हें कोरोना न हुआ तो अस्पताल जाने से हो सकता है. दूसरे, उन्हें टेस्ट और सही रिपोर्ट आने का भरोसा नहीं है. तीसरे, अस्पताल की व्यवस्थाओं से लोग संतुष्ट नहीं हैं. और फिर ये भी कि अस्पताल में उनके इलाज के नाम पर उनके साथ क्या होगा, इस पर भी लोगों को विश्वास नहीं है. अब इस पूरे मामले को विस्तार से समझें.
अफवाहें, लोगों के शक और खराब अनुभव
‘कोरोना वायरस का हौआ खड़ा किया जा रहा है और इसकी आड़ में धंधा कुछ और चल रहा है.’ इस तरह की बातें कई जगहों पर आम हैं. पंजाब में किस तरह लोग कोरोना टेस्ट से बिदक रहे हैं, इस सिलसिले में बीबीसी की हालिया रिपोर्ट कहती है कि कई लोग यह मान बैठे हैं कि कोरोना टेस्ट के नाम पर उन्हें जबरन पॉज़िटिव घोषित किया जाएगा. इसके बाद उन्हें परिवार से अलग करके उनकी जान ले ली जाएगी और फिर तस्करी के लिए उनके अंग निकाल लिये जाएंगे.
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इस रिपोर्ट में कई नागरिकों और ग्रामीणों से चर्चा के हवाले दिए गए हैं और बताया गया है कि लोग किस कदर परेशान और संदेहों से घिरे हुए हैं. कुछ लोगों ने ये कहा कि कोविड 19 में ज़्यादा से ज़्यादा मौतें दिखाने के लिए अधिकारियों और सरकारों को फंड मिल रहा है. इनके आरोप हैं कि इन्होंने देखा कि किस तरह लोगों को ज़बरदस्ती ले जाया गया और फिर उनकी लाश लौटी, जिसमें से शरीर के भीतरी अंग गायब थे.
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यह सिर्फ पंजाब की स्थिति नहीं है, बल्कि कई जगहों पर इस तरह की घबराहट देखी जा रही है. वॉट्सएप और सोशल मीडिया के ज़रिये कई तरह की सूचनाएं और छेड़छाड़ किए गए वीडियो इस तरह परोसे जा रहे हैं, जिनसे एक ऐसा माहौल बन रहा है, जो लोगों को डराने के लिए काफी है. हालांकि प्रशासन और सरकारी लगातार टेस्टिंग और इलाज के बेहतर ढांचे का प्रचार कर रही हैं, लेकिन स्थितियां डरावनी बनी हुई हैं.