चंद्रमा (Moon) पर इतने सारे क्रेटरों (Craters) की जानकारी मिलना हैरान करने वाला है.
चीन (China) के शोध ने चंद्रमा (Moon) पर एक लाख से ज्यादा क्रेटर (Crater) खोजे हैं जो सौरमंडल (Solar System) के इतिहास की अहम जानकारी दे सकते हैं.
- News18Hindi
- Last Updated:
December 24, 2020, 1:35 PM IST
सौरमंडल के इतिहास से गहरा संबंध
नेचर जर्नल में मंगलवार को प्रकाशित इस अध्ययन के बारे में कहा जा रहा है कि इन क्रेटर से हम सौरमंडल के इतिहास को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये क्रेटर चंद्रमा के लिए बिलकुल वैसे ही हैं जैसे पृथ्वी के लिए जीवाश्म. क्रेटर चंद्रमा के भूभाग में सबसे प्रमुख स्थलाकृति हैं और वे हमारे सौरमंडल के इतिहास का रिकॉर्ड रखते हैं. इस अध्ययन से वैज्ञानिकों ने अपनी जानकारी का दायरा बहुत बढ़ा लिया है.
कैसे जुटाई इन क्रेटर की जानकारीशुरुआत में ज्ञात क्रेटर की संख्या काफी कम थी 7895 क्रेटर की पहचान होने के अलावा 1411 क्रेटर की उम्र निकाली जा चुकी है. इन क्रेटर के अलावा चांग-ई आंकड़ों की मदद से वैज्ञानिकों ने नए क्रेटर की जानकारियां हासिल की और उनकी उम्र का अनुमान भी लगाया. इसके लिए उन्हें डीप न्यूरल नेटवर्क से स्थानांतरित हुई स्ट्रैटीग्राफिक जानकारी का भी उपयोग किया.
चंद्रमा के अभियानों की रही प्रमुख भूमिका
चीनी वैज्ञानिकों ने चीन के चंद्रमा के लिए भेजे गए पहले ऑर्बिटर्स चांग-ई-1 और चांग-ई-2 के आंकड़ों का प्रमुख तौर पर उपयोग किया जिससे उन्होंने 109956 नए क्रेटर खोज निकाले. इन ऑर्बिटर को क्रमशः साल 2007 और 2010 में चंद्रमा की ओर भेजा गया था.

अभी तक चंद्रमा (Moon) पर केवल 10 हजार क्रेटर (Crater) की जानकारी थी जबकि इस अध्ययन से एक लाख से अधिक क्रेटर मिले हैं.
पुराने आकंड़ों की भी ली मदद
इस अध्ययन की जरूरत के बारे में बताते हुए वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले साठ साले के लूना मिशन और नासा के अपोलो कार्यक्रम जैसे चंद्रमा के अन्वेषण प्रजोक्ट के जरिए मिले चंद्रमा के आंकड़ों की मदद ली गई जिसमें डिजिटल इमेज, डिजिटल एलीवेशन मॉडल (DEM) और चंद्रमा के नमूने शामिल हैं.
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संख्या में अंतर की वजह
तस्वीरों की पड़ताल, DEM आंकड़ों के विश्लेषण के साथ चंद्रमा पर विशाल संख्या में क्रेटर का ऑटोमैटिक डिटेक्शन किया और उसके बाद बहुत सारे क्रेटर के डेटाबेस भी बनाए. लेकिन इसके बाद भी अभा क्रेटर की संख्या में एकमतता नहीं हैं. इसका कारण ऑटोमैटिक डिटेक्शन और मानवीय तरीके से पहचान में अंतर होना है.

चंद्रमा (Moon) पर इम्पैक्ट क्रेटर्स (Impact craters) सौरमंडल (Solar System) के इतिहास की जानकारी दे सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
अलग संख्याओं में सामन्वय की जरूरत
साल 1919 से ही इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) ने चंद्रमा पर 9137 इंपैक्ट क्रेटर की पहचान कर चुका है. इनमें से 1675 क्रेटर की उम्र लूनार एंड प्लैनेटरी इंस्टीट्यूट ने 2015 में निकाली थी. इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी तरह के संयोजन नहीं है. अमेरिका का जहां अपना गहरा शोध तंत्र है तो वहीं रूस और चीन खुल कर अपने शोध अमेरिकी शोध संस्थाओं से साझा नहीं करते हैं. साझा होने पर ही समान्जस्य की कमी रह ही जाती है.
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चंद्रमा की सतह का अध्ययन वैज्ञानिकों के लिए बहुत अहम है क्योंकि वहां पर पृथ्वी की तरह की पानी, वायुमंडल या टेक्टोनिक गतिविधि नहीं है जिससे अपरदन की स्थिति बने. यही वजह है कि 3 अरब साल बाद भी 99 प्रतिश क्रेटर बिलकुल वैसे ही हैं जैसे वे अपने बनने के समय थे. तभी वे सौरमंडल के इतिहास की जानकारी संजोए हैं.