यह संक्रमण शिगेला नाम के बैक्टीरिया से हो रहा है और इस संक्रमण को शिगेलोसिस कहा जाता है. जिस तरह कोरोना वायरस से पीड़ित में लक्षण कुछ दिनों बाद भी दिख सकते हैं, इसी तरह शिगेला ग्रस्त में भी लक्षण 1 से 2 दिन बाद दिखने शुरू होते हैं. मामूली कोविड रोगियों की तरह ही शिगेला के मामूली रोगी भी बगैर इलाज के ठीक हो सकते हैं. लेकिन गंभीर मामले खतरनाक होकर जानलेवा तक हो सकते हैं. केरल में इस इन्फेक्शन के बारे में जानिए.
ये भी पढ़ें :- वंदे मातरम: उस गीत की यात्रा जिसे टैगोर ने शोहरत दिलाई तो अरविंदो ने सम्मान
1. शिगेला बैक्टीरिया से पीड़ितों में दस्त, बुखार और पेट में दर्द या मरोड़ जैसे लक्षण आम हैं, जो 7 दिनों तक रह सकते हैं.2. इस बैक्टीरिया संक्रमण का इलाज सामान्य तौर पर एंटीबायोटिक्स से किया जाता है, जिससे संक्रमण फैलने पर भी लगाम लग सकती है.
ये भी पढ़ें :- गणतंत्र दिवस 2021: अब तक ब्रिटेन से कितने नेता रहे हैं खास मेहमान?
3. शिगेला बैक्टीरिया किसी पीड़ित से दूसरे को तब भी फैल सकता है, जबकि पीड़ित के दस्त के लक्षण इीक हो चुके हों. बहुत कम मात्रा में बैक्टीरिया ही किसी को बीमार करने के लिए काफी होते हैं.
लंदन स्थिति National Collection of Type Cultures नाम की लाइब्ररी में ज़िंदा जानलेवा बैक्टीरिया रखे हुए हैं.
4. दूषित खाना या पानी इस संक्रमण के प्रमुख स्रोत बताए जाते हैं. किसी को इस बैक्टीरिया से संक्रमण हो जाए तो इसकी पुष्टि स्टूल टेस्ट से होती है.
5. कोविड-19 की तरह आप इस संक्रमण से साफ-सफाई रखकर बच सकते हैं. अगर आप ठीक तरह से समय समय पर हाथ धोते हैं तो संक्रमण से बचाव संभव है.
ये भी पढ़ें :- क्या है MSP, जिसके लिए अड़े हैं किसान और इससे किसे फायदा होता है?
6. संक्रमण ग्रस्त व्यक्ति के स्पर्श वाली किसी सतह को छूने से संक्रमण फैल सकता है. साथ ही, यह संक्रमण उस भोजन के सेवन से भी हो सकता है जो किसी संक्रमित व्यक्ति ने बनाया हो.
7. इस बैक्टीरियल संक्रमण से किसी भी उम्र के लोग संक्रमित हो सकते हैं, लेकिन बच्चों को खतरा ज़्यादा है. केरल में ज़्यादातर संक्रमित बच्चे ही पाए जा रहे हैं. जो लोग लगातार यात्रा कर रहे हैं, उन्हें भी खतरा ज़्यादा होता है. संक्रमित व्रूक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से भी संक्रमण होता है.
क्या यह दूसरी लहर है?
केरल में इस शिगेला के संक्रमण के मामले पिछली साल भी दर्ज हुए थे. 2019 में राज्य के कोइलांडी में इस बैक्टीरिया संक्रमण के सामने आने के बाद मिड डे मील को लेकर साफ सफाई की निगरानी की कवायद की गई थी. 2019 में एक ही स्कूल के 40 बच्चे शिगेला के लक्षणों के बाद अस्पताल में भर्ती कराए गए थे. इस साल भी एक बच्चे की मौत के बाद पानी के स्थानीय स्रोतों को साफ किया जा रहा है और मृतक बच्चे के कॉन्टैक्ट में आए लोगों की स्थिति भी समझी जा रही है.
ये भी पढ़ें :- क्या भारत में फरवरी में खत्म हो जाएगा कोरोना, अगर हां तो क्यों?
गौरतलब है कि दुनिया में हर साल इस बैक्टीरिया से हाने वाले रोगों के कारण 6 लाख तक मौतें होती हैं. अफ्रीका और दक्षिण एशिया में डायरिया के गंभीर मामलों के पीछे चार प्रमुख बैक्टीरिया कारण होते हैं, जिनमें से शिगेला एक है. इस बैक्टीरिया की खोज 1897 में जापानी विशेषज्ञ कियोशी शिगा ने की थी, इसलिए इसका नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया.