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Welcome 2021 : जो झटका पूरी दुनिया को 2020 में लगा है, उससे निपटने के लिए तो एक जंग जारी रहेगी ही, लेकिन उसके साथ ही, हेल्थकेयर से जुड़े वो और मुद्दे (Global Health Care Issues) कौन से हैं, जिन्हें लेकर पूरी दुनिया को सोचना भी होगा और इस दिशा में बढ़ना भी.
- News18Hindi
- Last Updated:
January 3, 2021, 11:46 AM IST
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल में, 2021 में दुनिया भर में स्वास्थ्य के मोर्चे पर उन खास बिंदुओं को जारी किया, जिन्हें लेकर प्राथमिकता से फोकस रखा जाएगा. दूसरी तरफ, स्टैट न्यूज़ ने हर साल की तरह इस बार भी फोकस में रखे जाने लायक तीन खास हेल्थ मुद्दों को उठाया. इन तमाम विशेषज्ञों के हिसाब से आपको 09 पॉइंट्स में बताते हैं कि कौन से मामले इस साल खबरों में आते रहेंगे.
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याद रखना चाहिए कि 2020 में कोरोना महामारी के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था बुरी तरह चौपट हुई. संयुक्त राष्ट्र ने भी चेताया कि गरीबी और बेरोज़गारी बढ़ने से स्वास्थ्य सुविधाओं और समस्याओं को हल करने की चुनौतियां भी बढ़ गईं. बड़ी आबादी वाले देशों में तो वैक्सीन सब तक पहुंचाना भी टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. आइए जानें कि किन 09 हेल्थ इशूज़ पर बराबर नज़र बनाए रखना होगी.
दुनिया को होना होगा एकजुट : स्वास्थ्य संबंधी आपदाओं को लेकर पूरी दुनिया को एकजुट होकर एक मज़बूत सिस्टम खड़ा करना होगा. खासकर, छोटे द्वीपों, युद्ध के हालात में फंसे इलाकों और शहरी क्षेत्रों में रह रहे गरीब और ज़रूरतमंदों तक पहुंचने वाला सिस्टम बनाने की कवायद ज़ोरों पर करना होगी.
वैक्सीन और टेस्टिंग में तेज़ी : कोविड-19 को लेकर इलाज, टेस्टिंग और वैक्सीन आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने में तेज़ी लाना सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है. एक तरफ, भारत समेत कुछ देशों ने अपने नागरिकों को फ्री वैक्सीन देने की बात कही है, तो WHO ने कहा है कि वो गरीब और मध्यम आय वाले देशों को 2 अरब वैक्सीन, 24.5 करोड़ इलाज और 50 करोड़ टेस्टिंग सुविधा देगा.
एडवांस हेल्थ : सभी देशों को अपने हेल्थ सिस्टम को मज़बूत करना होगा ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटा जा सके. गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान अमेरिका जैसे अमीर देशों का हेल्थ सिस्टम तक खोखला साबित हुआ. इसके साथ ही, भविष्य को ध्यान में रखकर तैयार किए जाने वाले सिस्टम में रंग, लिंग, क्षेत्रीयता, शिक्षा और रोज़गार के आधार पर होने वाले भेदभाव को मिटाने की चुनौती से निपटना होगा.
साइंस और डेटा : हेल्थ केयर सेक्टर को सुधारने ही नहीं बल्कि इससे जुड़े डेटा को भी प्रामाणिक ढंग से समय पर तैयार और शेयर करने का सिस्टम बनाना होगा. ग्लोबल हेल्थ को सुधारने के लिए WHO ने यह भी कहा कि वो कोविड और अन्य स्वास्थ्य संकटों से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन को और गति देने की कोशिश करेगा. साथ ही, कई देशों से इस दिशा में स्टडीज़ किए जाने की अपील की गई है.
शीर्ष संस्था बची रहे : 2020 में चीन के खिलाफ अपने एजेंडे के चलते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने WHO के विरोध में कोई कसर नहीं छोड़ी और यहां तक कि दुनिया में स्वास्थ्य की शीर्ष संस्था से अपना पल्ला झाड़ लेने तक की बात कही. लेकिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि वो पद संभालते ही व्यवस्था करेंगे कि WHO और अमेरिका साथ रहें. अब यह समय और ढंग से हो सके, इसके लिए निगरानी और सक्रियता रखनी होगी.
गैर संक्रामक बीमारियां : साल 2019 और 2020 में सबसे ज़्यादा जानें लेने वाले 10 सबसे बड़े कारणों में से 7 वो बीमारियां थीं, जो संक्रामक नहीं (NCDs) हैं. इनमें कैंसर अब भी बड़ी जानलेवा बीमारी है. 2021 में भी ऐसे रोगों के खिलाफ कार्यक्रम चलाकर ज़रूरतमंदों तक मदद पहुंचाना बड़ी चुनौती रहेगी.
संक्रामक रोग : संक्रमणों के केस दुनिया में लगातार बढ़ते हुए देखे गए हैं. कोरोना वायरस के साथ और महामारी के दौरान दुनिया के कई देशों में और तरह से वायरसों और बैक्टीरिया के हमले देखे जाते रहे. महामारी में हालात चूंकि बेहद खराब रहे इसलिए दूसरे मरीज़ों को इलाज मिलने में मुश्किलें हुईं. इस समस्या से निपटने के लिए सभी देशों को सोचना होगा.
इलाज और मानसिक सेहत : असरदार दवाओं और कारगर इलाज के अभाव में खास तौर से गरीब और पिछड़े देशों का जूझना लगातार जारी है. कोविड जैसी महामारी के समय में तो स्थिति और भयानक हो गई. भारत जैसे मध्यम आय वाले देशों में भी मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं और दवाएं पहुंचना मुहाल हुईं, खासकर जब लॉकडाउन जैसे हालात रहे. इस पूरे सिस्टम को बेहतर और पहुंच में लाने लायक बनाने की चुनौती को कई देशों को फेस करना होगा.
पोलियो से छुटकारा : स्टैट का कहना है कि हर साल की तरह विश्व स्वास्थ्य मुद्दों में पोलियो इस साल भी प्राथमिकता में बना रहेगा. खास तौर से गरीब देशों में पोलियो से जूझना और पोलियो वैक्सीन के कार्यक्रमों को असरदार ढंग से चलाना चुनौती होगा क्योंकि कोविड के चलते कई देशों में टीकाकरण कार्यक्रम बुरी तरह पिछड़ा. WHO इस साल पोलियो व अन्य वैक्सीन देकर टीकाकरण में पिछड़े लोगों की मदद की बात कह चुका है.